tag:blogger.com,1999:blog-8779623351058193994.post5078656863252680118..comments2024-03-26T17:15:54.825-07:00Comments on Welcome to Rekhta Urdu Blog: ریختہ کو کیسے استعمال کریںRekhta Urduhttp://www.blogger.com/profile/10148986344331513294noreply@blogger.comBlogger1061125tag:blogger.com,1999:blog-8779623351058193994.post-20719766260294777752024-03-26T17:15:54.825-07:002024-03-26T17:15:54.825-07:00ज़िंदगी ज़िंदा नही ढांचा सभी का देखने में ज़िंदा ह...ज़िंदगी ज़िंदा नही ढांचा सभी का देखने में ज़िंदा है<br />ज़िंदगी कब्जे में नही होता , गुमराह लोगों का फकत <br />डिग्री को महान समझने वाले आदमी खुदा से दूर होता है<br />इंसान की लिखी किताब पर बुद्धजीवी का अमल नहीं होता<br />मॉडर्न शिक्षा के दीवाने हैं इस युग में नाम वाला मुसलमान<br />इल्म वो धन पर नाज़ होता है जिसको समझो मक्कार हैं वह<br />मक्कारी , मकड़े की जाल में घिरा दिखता है ईमानदारों को<br />ईमानदारी दिखता नहीं खुशबू देखने की चीज़ नही होता है<br /><br />वसी अहमद क़ादरी WASI AHMAD QADRI poethttps://www.blogger.com/profile/17293672912470874013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8779623351058193994.post-2717010600193940002024-03-19T09:14:50.783-07:002024-03-19T09:14:50.783-07:00हम ने बदल दिया है एक हर्फ से एक पेज
लंबी दास्तां...हम ने बदल दिया है एक हर्फ से एक पेज <br />लंबी दास्तां की एक अल्फाज़ ही काफ़ी है<br />जीवन की दिन गिनती करना कहानी बनना<br />बनाने से नहीं बनती दास्तां कोई बना देता है<br /><br />वसी अहमद अंसारी<br />वसी अहमद क़ादरी<br />लेखक ! कवि !WASI AHMAD QADRI poethttps://www.blogger.com/profile/17293672912470874013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8779623351058193994.post-69600025728330611752024-03-18T05:45:14.945-07:002024-03-18T05:45:14.945-07:00वतन न हमारा न ही इन्सान वो जीव प्राणी का रहा है सद...वतन न हमारा न ही इन्सान वो जीव प्राणी का रहा है सदा कभी<br />आचरण चमकीला है जिनका और था वतन उनका भी न रहा <br />हम बंदे हैं उनके जिसे देखा नहीं राज़ क्यों पोशीदा है जहान में<br />मादरे वतन से था कभी उल्फत बेघर होकर दिल चूर चूर होगया<br />यकिन कामिल है मुझको उसपर हम नही वह देखता है मुझ को<br />वतन चमकाना बे वतन होकर दिल खाली होगया कुछ न रहा दिल में<br />दोनों जहान में "वसी" चमके ऐसा काम न किया है जिंदगी में वसी<br />दौलत की अधिकता होती मुझको तो शायद दिल में सतरंजी खोदा होता<br />धन की कद्र आचरण के पास नही ज़ाहिल की कद्र शिक्षित के पास नही होती<br />खुश नसीब है वे लोग कुछ न रहते हुवे दिल में खुदा का घर बना लिया <br /><br />वसी अहमद क़ादरी<br />वसी अहमद अंसारी<br />दरवेश ! लेखक ! कवि<br /><br />WASI AHMAD QADRI poethttps://www.blogger.com/profile/17293672912470874013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8779623351058193994.post-26833094833252709132024-03-08T10:37:55.788-08:002024-03-08T10:37:55.788-08:00न दिल कहता है न दिल इकरार करता है
के इस्लामी माहौ...न दिल कहता है न दिल इकरार करता है<br /><br />के इस्लामी माहौल कहीं कहीं नज़र आता है<br /><br />लिबास वो पहनावा शनाख्त बनाया गया है<br /><br />वह भी तरीकत,शरीयत में शायद है कोई कोई<br /><br />हैं जो शरीयत वो तरीकत और असल ए पाबंद<br /><br />उनका लिबास फटा पुराना देखने को मिलता है<br /><br />बड़ी बड़ी संगठन,मुस्लिम के नाम पर बना है केवल<br /><br />न रहबरी न ईमान है हुकुम्मत की आवाज़ बोलता है<br /><br />जाहिल कद्रदान है मौलाना मुफ्तियों का इसलिए<br />पूछता है "वसी" नेता खुद बना या उसने बनाया है<br /><br />वसी अहमद क़ादरी<br />मुफक्किर मखलुकात<br />मुफक्किर कायनातWASI AHMAD QADRI poethttps://www.blogger.com/profile/17293672912470874013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8779623351058193994.post-7382070231968058812024-03-08T09:04:57.471-08:002024-03-08T09:04:57.471-08:00वतन न हमारा है न ही इन्सानी जीव प्राणी वो जीव जन्त...वतन न हमारा है न ही इन्सानी जीव प्राणी वो जीव जन्तु का<br />जिनका आचरण चमकीला था , सदा वो भी न रहे वतन में<br />हम बंदे हैं उनके जिसे देखा नहीं राज़ क्यों पोशीदा है जहान में<br /><br />मादरे वतन से था कभी उल्फत बेघर होकर दिल चूर चूर होगया<br /><br />यकिन कामिल है मुझको उसपर हम नही वह देखता है मुझ को<br /><br />वतन चमकाना बे वतन होकर दिल से निकल गया दिल में नही<br /><br />दोनों जहान में " वसी" चमके ऐसा ही काम किया है जिंदगी में वसी<br /><br />दौलत की अधिकता रहने को घर होता तो दिल में सतरंजी चाल में खोदा होता <br /><br />धन की कद्र अस्वस्थ के पास नही ज़ाहिल की कद्र शिक्षित के पास नही<br /><br />खुश नसीब है वे लोग जो स्वस्थ रहकर माता पिता का साया पोता देखा<br /><br />वसी अहमद क़ादरीWASI AHMAD QADRI poethttps://www.blogger.com/profile/17293672912470874013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8779623351058193994.post-61249411107941056322024-03-08T09:03:46.065-08:002024-03-08T09:03:46.065-08:00Had there been a house to live in abundance of wea...Had there been a house to live in abundance of wealth, it would have been engraved in the heart with a string pattern.WASI AHMAD QADRI poethttps://www.blogger.com/profile/17293672912470874013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8779623351058193994.post-70947367090425854062024-02-28T19:04:13.565-08:002024-02-28T19:04:13.565-08:00माँ ने मुझे जीवन में सलाह दी थी, मेरी आवाज़, मेरी ...माँ ने मुझे जीवन में सलाह दी थी, मेरी आवाज़, मेरी सलाह याद रखना<br /><br /> उन्हें आज भी याद किया जाता है और मरने से पहले भी उनकी आवाज कायम रहेगी, उनकी यादगार दुनिया में कायम रहेगी<br /> __________________________<br /><br /><br /><br /><br /><br /> मेरे माता-पिता कहते थे, "मेरा बेटा।" सभी महिलाएँ माँ का दर्जा नहीं रखतीं<br /><br /> सभी बच्चे अपनी माँ की प्रशंसा करते हैं क्योंकि वे उनकेगर्भ से बाहर आये हैं<br /><br /> माता जमीला कादरी रहमतुल्लाह अलैह का कथन: माता-पिता में जो नेक वे महान<br /><br />माँ ने पेट में रखा, बाप ने बच्चे की परवरीश में जीवन स्पर्तित किया सुनो मेरे प्यारे<br /><br /> सभी बच्चे अपनी माँ की प्रशंसा करते हैं।<br /><br /><br />यदि किसी के माता-पिता अज्ञानी हैं उन्हें उनसे कुछ भी सीखने को न मिला न सिखाया गया<br /><br /> शिक्षा और प्रशिक्षण मिला जिनसे हक़दार वही हैं ईश्वर की नज़रों मैं माता-पिता नहीं<br /><br /> हमने जहां देखा, हर माहौल को देखा अच्छी आचरण में पिता "मुहम्मद मुसलीम अंसारी मां जमीला क़ादरी को ही में ही देखा<br /><br />समाज की औरतें भी कबूल करती थीं के जमीला क़ादरी हमारे राहनुमा और महान हैं <br /><br />इसीलिए कहता है " वसी" जमीला क़ादरी शिक्षकों के शिक्षक थे,यह पुरुस्कार ए खुदा है<br /><br />मेरी अनुभव को गुमराह, झूठे और धोखेबाजों नही मानते वे धन को ही सबकुछ समझते हैं<br /><br /> <br />सभी बच्चे अपनी माँ की प्रशंसा करते हैं।<br /><br /><br />हमने सुख और आत्म-सुख त्याग दिया, फिर प्रेरित शब्द प्राप्त हुवे ईश्वर के माध्यम से<br /><br />हमने माता-पिता से फ़ना फ़ी अल्लाह बक़ा बल्लाह के शब्दों को जाना और अमल किया <br /><br />सभी माता-पिता के बच्चों का आचरण एवं गुण के पवित्र एवं निष्कलंक नहीं होते हैं<br /><br />जन्म देने से पहले औरत कही जाती है बाद में वे अपने बच्चे की मां होगी सभी का हरगिज़ नही<br /><br />मां एक महान दर्जा है इसलिए सभी औरतों को महान न समझा जाए वरना महानता विनाश हो जायेगी<br /><br /><br /> सभी बच्चे अपनी माँ की प्रशंसा करते हैं *****<br /><br /> वसी अहमद कादरी ✓ वसी अहमद अंसारी ✓<br /> थिंकिंग यूनिवर्स ✓ थिंकिंग क्रिएचर्स ✓<br /> ला मकान ✓ मुजफ्फरपुरी ✓ नई दिल्ली ✓ भारतWASI AHMAD QADRI poethttps://www.blogger.com/profile/17293672912470874013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8779623351058193994.post-39387258475719955432024-02-28T05:39:34.636-08:002024-02-28T05:39:34.636-08:00उम्मीद लगाए बैठे हैं बे वजह काहिल लोग
कारनामा वैसा...उम्मीद लगाए बैठे हैं बे वजह काहिल लोग<br />कारनामा वैसा नही , के खुदा कबूल कर ले<br />खुदा रहमान, रहीम है , शख्त दिल केलिए नही<br />पढ़ते हैं भौतिक नतीजा रसायन की रखते हैं<br />झूठ हेरा फेरी के हासिल वह घर जिसमे सोते<br />हराम कमाई से हज उम्मीद जन्नत का रखते हैं<br />जन्नत, कब्र की मुद्दत से लाखों साल बाद में आना<br />जहन्नुम की आग फीका है कब्र की अजाब से ए वसी<br /><br />वसी अहमद क़ादरी<br />वसीअहमद अंसारी WASI AHMAD QADRI poethttps://www.blogger.com/profile/17293672912470874013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8779623351058193994.post-39432735290443583152024-02-01T08:49:50.015-08:002024-02-01T08:49:50.015-08:00दिल में मौत हो चुकी है मेरा
आँखें जहां देख रही हकी...दिल में मौत हो चुकी है मेरा<br />आँखें जहां देख रही हकीकत केया है<br />दिल दौड़ता नहीं आंखें चलती नही जानदार तो है <br />यहां रदीफ काफिया ज़िंदा है वसी नही <br /><br />वसी अहमद क़ादरी<br /><br /><br />دل میں موت ہو چُکی ہے میرا <br />آنکھیں جہان دیکھ رہی ہے حقیقت کیا ہے<br />دِل دوڑتا نہیں آنکھیں چلتی نہیں جاندار تو ہے<br />یہاں ردیف قافیہ زندہ ہے وصی نہیں<br /><br />وصی احمد قادری WASI AHMAD QADRI poethttps://www.blogger.com/profile/17293672912470874013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8779623351058193994.post-43631497263989363582024-01-30T23:39:27.384-08:002024-01-30T23:39:27.384-08:00आँखें आसमान देखती है मगर आसमां नही
दिल जिस्म में उ...आँखें आसमान देखती है मगर आसमां नही<br />दिल जिस्म में उड़ने की सिफत नही रखती है<br />ज़मीन रहने को चांद सूरज देखने को मिली है<br />आसमां देख सकते छू नहीं सकते यही खुदाई है<br />कोई बनाकर अपना घर दूसरे में चला जाता<br />केया कहेंगे ऐसे दिल को बुद्धिन या बुद्धिमान<br />जबकि अछी सोच मेहनत की कमाई से मिलती है<br />यूं तो सियासतदान अपने को सबकुछ समझने लगा है<br />अंधेरे कोठरी से भूखे प्यासे संदेश जहान को देता है वसी<br />हम अगर बुद्धिमान होते तो संसद भवन में नहीं होते<br /><br />वसी अहमद क़ादरी<br />वसी अहमद अंसारीWASI AHMAD QADRI poethttps://www.blogger.com/profile/17293672912470874013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8779623351058193994.post-76542949569499036742024-01-29T22:53:40.189-08:002024-01-29T22:53:40.189-08:00جو گزُری ہے حالات مجھ پر وہ بھی گزر گیا
ابھی ہم ز...جو گزُری ہے حالات مجھ پر وہ بھی گزر گیا<br /><br />ابھی ہم زندہ ہیں زندگی بھی گزر جائیگی<br /><br />ذِکر ہوتی رہیگی میرا جہاں کے ہر خطّے میں<br /><br />لکھے گا داستان میرا جو کتاب سمجھا جائیگا<br /><br /> دُنیا کی شہرت سے وہاں سند نہیں ملےگا وصی<br /> <br />اِسے نہ ہم کتاب سمجھتے نہ وہاں نجات سمجھتے<br /><br />لوگ کیا سمجھتے ہیں کیا سمجھیں گے وہ سمجھے<br /><br />ہم آئیں ہیں جانے کیلئے دِل کسی کا دخا کر جانا اچّھا نہیں سمجھتے<br /><br />وصی احمد قادری<br />WASI AHMAD QADRI poethttps://www.blogger.com/profile/17293672912470874013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8779623351058193994.post-23446805888719040012024-01-28T09:15:35.324-08:002024-01-28T09:15:35.324-08:00Content by Wasi Ahmad Qadri
_____________________...Content by Wasi Ahmad Qadri<br /> ___________________________________<br /><br />Allah's Deen is Islam _ Madhhab is not Islam _ Madhhab is invented by Jews<br /><br />Dividing human beings by creating a religion was an important mission of the Jews<br /><br />Allah's deen and Muhammad's decree had already begun to change in his lifetime<br /><br />The tribe of Judah became the Jewish people who did not consider any of Moses, David, Jesus and Muhammad (SAW) as their prophets.<br /><br />According to the Qur'an, the Jew was given everything in the world, but there was nothing but trouble<br /><br />Whoever believes in Muhammad and the Hereafter is commanded not to compete with or imitate the Jew<br /><br />Muhammad (SAW) was not the leader of a religion but the leader of all creation and his hadith is alive.<br /><br />Muhammad was sent not to rule but to guide and show people the right path<br /><br />The universe and the animals were all subject to Muhammad because he was the king of the universe and creation.<br /><br />Muhammad was not in honor and dignity and was free from all faults.<br /><br />History is a witness that only after Hayat-i-Muhammad, the liar, the slanderer and the oppressor became the King Maharaja on earth.<br /><br />The Muslims of this era are all in a bad nature and seek Jannah from Allah only with the help of Namaz<br /><br />That's why Wasi says: He who always speaks the truth does not get a house to live in and bread to eat on time<br /><br />He who achieved everything not by truth, but by deception, only by his own ambitions<br /><br />Wasi Ahmad Qadri<br />Wasi Ahmad AnsariWASI AHMAD QADRI poethttps://www.blogger.com/profile/17293672912470874013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8779623351058193994.post-57313355256438512622024-01-28T07:18:17.699-08:002024-01-28T07:18:17.699-08:00रचना_ वसी अहमद क़ादरी की रचना _ रचना
_____________...रचना_ वसी अहमद क़ादरी की रचना _ रचना<br />___________________________________<br /><br />अल्लाह का दीन इस्लाम है _ मज़हब ए इस्लाम नहीं _ मज़हब का आविष्कार यहूदी है<br /><br />मज़हब बनाकर इंसान को बांट देना अहम मिशन था यहूदी का इसके पहले कुछ नही था<br /><br />अल्लाह का दीन और मुहम्मद का फ़रमान तो उनके हयात में ही बदलने का आगाज़ हो चुका था<br /><br />यहूदा नामी की नस्ल यहूदी कौम बना जो मूसा_ दाऊद _ईसा और मुहम्मद में किसी को अपना नबी नहीं माना<br /><br />कुरान के मुताबिक़ यहूदी को दुनिया में सब कुछ दे दिया गया मगर वहां तकलीफ़ के सिवा कुछ नही<br /><br />मुहम्मद और आखेरत पर ईमान रखने वाले को हुकुम हुआ के यहूदी से न मुकाबला न उसका नकल करना<br /><br />मुहम्मद(SAW) एक मजहब के रहनुमा नही सारे मखलुकात के रहनुमा थे और उनका हदीस ज़िंदा है<br /><br />मुहम्मद हुकूमत करने केलिए नही इन्सान को सही राह बताने और दिखाने केलिए भेजे गए थे<br /><br />कायनात और जीव जंतु सभी मुहम्मद के ताबे थे क्यूंकि ब्रह्माण्ड और मखलुकात के बादशाह थे<br /><br />मुहम्मद, आन बान और शान में न थे अदल इंसाफ में और हर ऐब से पाक थे तब तो ढांचे में थोड़ी इंसानियत आई है<br /><br />इतिहास गवाह है हयात ए मुहम्मद के बाद ही झूठा , मक्कार और ज़ालिम धरती पर राजा महाराजा बने हैं<br /><br />इस दौर के मुसलमान सभी बुरे फितरत में हैं सिर्फ नमाज़ के सहारे अल्लाह से जन्नत चाहते हैं<br /><br />इसलिए कहता है वसी _ सदा सच बोलने वाले को रहने का घर और खाने को रोटी नहीं मिलती है समय पर<br /><br />जिसने सब कुछ हासिल किया सच्चाई से नही मक्कारी से महज़ अपने ऐश वो इशरत लिए<br /><br />वसी अहमद क़ादरी<br />वसी अहमद अंसारी<br />WASI AHMAD QADRI poethttps://www.blogger.com/profile/17293672912470874013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8779623351058193994.post-80757959158960229792024-01-27T07:20:11.745-08:002024-01-27T07:20:11.745-08:00دِل جلتا ہے آنکھیں نہیں دیکھتی ہے
ہر کوئی یہ سمجھت...دِل جلتا ہے آنکھیں نہیں دیکھتی ہے<br />ہر کوئی یہ سمجھتا میرے جیسا ہوگا<br />دیکھئے میں دِل سبھی کا ایک جیسا ہے<br />الہامی خیال ہر کسی میں نہیں اُبھرتا <br />ردیف قافیہ عصری علوم کا پیداوار ہے<br />ہر کوئی زمین کے اندر نہیں دیکھتا<br />علم کا حاصل کرنا عمل کرنے کیلئے ہے <br />عربی اور انگریزی بولنا عظمت نہیں<br />کرسی پر بیٹھنا آسان اور مُشکِل بھی ہے<br />بیٹھ کر دعویٰ کا شان بھی اچّھا نہیں ہوتا<br /><br />وصی احمد قادری<br />وصی احمد انصاریWASI AHMAD QADRI poethttps://www.blogger.com/profile/17293672912470874013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8779623351058193994.post-58437298748557226072024-01-27T00:55:02.299-08:002024-01-27T00:55:02.299-08:00कहीं याद न आए उस समय आज की इल्हामी जुमले
काम आयेगा...कहीं याद न आए उस समय आज की इल्हामी जुमले<br />काम आयेगा समय पर इसलिए डायरी में लिख लिया है<br />कुछ जुमले होते ऐसे समय से पहले बोलना अच्छा नही<br />पूरी ज़िंदगी की अमल दिल में रखना अहमियत नहीं रखता<br />सभा में बोलकर इलहामी जुमले अवाम को जगा देगा वसी<br />साल 2024 में जो दावत दे दरवेश को संसद भवन आने का<br />वह मंच मेरे भाषण से हर भवन को हिला देगा यकीनन वसी<br />कुछ दिनों एक नेता की होगी मौत जो 2024 यादगार बनेगा<br />यह भविष्यवाणी नही मेरा जो देखा है बता रहा है एक दरवेश<br />दिल हिलते दिमाग़ में चक्कर होता यह नई बात नहीं है<br />मौत बहाना ढूंढती कभी बता कर नहीं आती यही रहस्य है<br />गुनहगारों को मौत से पहले तौबा करना याद नहीं रहता है<br />कुछ मौतें किसी की आह का होता जो लिखा होता है वसी<br />हम बदल नहीं सकते अपने दिल को कोई बदल देता है दूसरे दिल को<br /><br />वसी अहमद क़ादरी<br />वसी अहमद अंसारी<br />WASI AHMAD QADRI poethttps://www.blogger.com/profile/17293672912470874013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8779623351058193994.post-4735630981563302162024-01-26T22:15:38.892-08:002024-01-26T22:15:38.892-08:00दिल जलता है आंखें नहीं देखती है
हर कोई समझता वह मे...दिल जलता है आंखें नहीं देखती है<br />हर कोई समझता वह मेरे जैसा होगा<br />देखने में दिल सभी का एक जैसा है<br />इलहामी ख्याल हरेक में नहीं उभरता <br />रदीफ और काफिया इल्मी उपज है<br />हर कोई ज़मीन के अन्दर नहीं देखता<br />इल्म का जानना अमल करने के लिए<br />अरबी अंग्रेजी में बोलना अजमत नही<br />कुर्सी पर बैठना आसान कभी मुश्किल होता<br />बैठकर दावे का शान भी अच्छा नहीं होता<br /><br />वसी अहमद कादरी<br />वसी अहमद अंसारी<br />27.01.2024<br /><br /><br />WASI AHMAD QADRI poethttps://www.blogger.com/profile/17293672912470874013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8779623351058193994.post-10407634968986466422024-01-25T21:13:38.440-08:002024-01-25T21:13:38.440-08:00कविता ( वसी अहमद अंसारी √√ वसी अहमद क़ादरी )
इंसा...कविता ( वसी अहमद अंसारी √√ वसी अहमद क़ादरी )<br /><br />इंसान वही जो सच्चाई से हरेक दिल में अपना घर बना ले<br /><br />ईश्वर का घर किसी ने देखा नही बनाकर देखता है हर कोई<br /><br />महल खुदा को प्यारा नही लगता सच बोलने वाले को पसंद करता<br /><br />राजा का दिल और नियत फकीर ही समझते हैं दौलतमंद नही<br /><br />अगर वह किसी को बादशाह बनाया तो फ़कीर भी वही बनाया है<br />खुद को ख़ुद से महान बनने वालों में साया ईश्वर का नही शैतान का होता है<br />मोदी नाम है एक शख्स का एक नाम वसी भी है लोगत में<br />वसी का मानी है वसीयत किया गया यह खूबी मोदी में नहीं<br />तक़दीर मोदी की लिखी नही गई और सभी का लिखा भी नही है<br />जिसकी लिखी गई है तक़दीर वे कभी मनमानी नहीं करते<br />माजी में अब्दुल कादिर जिलानी इस दौर में वसी ला मकां की लिखी गई है<br />हर दौर केलिए मुहम्मद हैं (वली) नही ब मुश्किल किसी को सदी मिली है<br /><br /><br />वसी अहमद क़ादरी<br />वसी अहमद अंसारी<br />मुफक्किर मखलुकात<br />मुफक्किर कायनात<br />26 . 01. 2024<br />WASI AHMAD QADRI poethttps://www.blogger.com/profile/17293672912470874013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8779623351058193994.post-29780676454763778512024-01-24T03:38:12.217-08:002024-01-24T03:38:12.217-08:00दुनियां तो उसकी है_ वसी _जिसने दुनियां सजाया है
अ...दुनियां तो उसकी है_ वसी _जिसने दुनियां सजाया है<br /><br />अधिकतर लोग न यहां के न वहां के होगें ए वसी<br /><br />ज़िंदगी में ज़िंदगी से चाहते हैं अगर कुछ सीखना<br /><br />आईए अभी अपनी आराम छोड़ कर अमर उजाला में<br /><br />बहुत कुछ कह चुके हैं आप ने समझा नही अब तक<br /><br />के ईश्वर ईश्वर अल्लाह अल्लाह की यह दुनिया नही मगर<br /><br />उसका ब्रह्मांड छोटा हिस्सा है दुनियां जिसे सबकुछ समझ रखा है इन्सान<br /><br />दुनियां यूंही नहीं बनाया उसने रौशन दिल में ब्रह्माण्ड नज़र आता है<br /><br />वसी अहमद क़ादरी<br />वसी अहमद अंसारी<br /><br /><br />WASI AHMAD QADRI poethttps://www.blogger.com/profile/17293672912470874013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8779623351058193994.post-9387967231355004582024-01-24T01:14:41.992-08:002024-01-24T01:14:41.992-08:00आजाद हम नही हैं और न ही समझा है कभी
खुदा का फ़रमान...आजाद हम नही हैं और न ही समझा है कभी<br />खुदा का फ़रमान अदा करने में लगा है वसी <br />जो खुदको आजाद समझते उन्हें सही दिशा मालूम नही<br />सालाना जश्न मनाने वालों में ईश्वर से उल्फत नही होता<br />आजादी मेरा आविष्कार नही उसका आविष्कार है वसी<br />हम वह नहीं करते हैं जो सभी करते अलग है दिल मेरा<br />दिल मेरा मनमानी नहीं करता यह आविष्कार है उसका<br />इन्सानी आविष्कारक में किसी ने अपना जश्न नहीं मनाया<br /><br />वसी अहमद क़ादरी<br />वसी अहमद अंसारी<br />मुफक्किर ए मखलुकात<br />मुफक्किर ए कायनात<br />24 01 2024WASI AHMAD QADRI poethttps://www.blogger.com/profile/17293672912470874013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8779623351058193994.post-70100212654843510732024-01-23T09:25:51.776-08:002024-01-23T09:25:51.776-08:00زِندگی سے کیا الجھیں یہ کوئی ہمارا ہے
اُلجھے وہ ج...زِندگی سے کیا الجھیں یہ کوئی ہمارا ہے<br /><br />اُلجھے وہ جسکا کائنات مخلوقات اور ہم<br /><br />زندگی ایک ڈراما ہے _ وصی خود ہے کتاب<br /><br />زندگی کتابیں دیتی ہے سب کتاب نہیں ہوتا<br /><br />وصی احمد قادری ! وصی احمد انصاریWASI AHMAD QADRI poethttps://www.blogger.com/profile/17293672912470874013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8779623351058193994.post-88776151490936711852024-01-23T09:13:14.607-08:002024-01-23T09:13:14.607-08:00عروج دیکھناً اچھا نہیں لیکِن زوال سے پہلے
فقط زوال...عروج دیکھناً اچھا نہیں لیکِن زوال سے پہلے<br />فقط زوال دیکھنا زندگی کیلئے اچّھا نہیں<br />ہم تو غُربت میں بھی سجا لیتے زندگی کو<br />زندگی مُجھے سنوار دے یہ مُمکن نہیں ہے<br /><br />وصی احمد قادری<br />وصی احمد انصاریWASI AHMAD QADRI poethttps://www.blogger.com/profile/17293672912470874013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8779623351058193994.post-14902438815465895632024-01-07T10:23:10.149-08:002024-01-07T10:23:10.149-08:00दिल कहता है खुदा कायनात वो मखलुकात का बादशाह है
र...दिल कहता है खुदा कायनात वो मखलुकात का बादशाह है<br /><br />रूह का कहना है न हमने देखा है न ही सुना है _ वसी <br /><br />वसी अहमद क़ादरी<br />वसी अहमद अंसारी WASI AHMAD QADRI poethttps://www.blogger.com/profile/17293672912470874013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8779623351058193994.post-71467826493685007332024-01-07T09:39:36.650-08:002024-01-07T09:39:36.650-08:00केया करें मशहूर होकर जहान में हम_ वसी
न ज़िंदगी म...केया करें मशहूर होकर जहान में हम_ वसी <br />न ज़िंदगी मेरे कब्जे में न दुनिया हमारा है<br />दुनियां उसकी जो तन मन धन से भरा है<br />मौत के बाद भी सुख दिल गवाही नहीं देता<br />दिल मेरा मेरे जैसा है औरों का मालूम नही<br />जिंदा दिखते हैं मौत देखना मालूम न होगा<br /><br />वसी अहमद क़ादरी WASI AHMAD QADRI poethttps://www.blogger.com/profile/17293672912470874013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8779623351058193994.post-56616567449871907882024-01-04T23:17:18.557-08:002024-01-04T23:17:18.557-08:00Heaven on earth is visible only to those people wh...Heaven on earth is visible only to those people who are rich and do not have truth. The life of true people is difficult, those who have patience in difficult times and do not even think of taking revenge from anyone in their heart, this is the heaven of the heart, that is, from death. <br />At first neither God nor heaven is visible.The heart of the one who believes and trusts is heaven.<br />It is not possible for everyone to understand oneself and understand GOD.<br /><br />Wasi Ahmad Qadri<br />Wasi Ahmad AnsariWASI AHMAD QADRI poethttps://www.blogger.com/profile/17293672912470874013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8779623351058193994.post-30918696728701450592024-01-04T23:07:34.360-08:002024-01-04T23:07:34.360-08:00धरती पर सवर्ग उन लोगों को दिखाई देता जो दौलतमंद है...धरती पर सवर्ग उन लोगों को दिखाई देता जो दौलतमंद है और जिसमें सच्चाई नहीं होता _ सच्चे लोगों की जीवन कठीन है , कठिन समय में जो सब्र किया और किसी से बदले का भावना दिल में भी ख्याल नहीं लाया यही दिल सवर्ग है _ यानी मौत से पहले न ईश्वर दिखाई देता और न ही सवर्ग यकीन और भरोसा करने वाले का दिल सवर्ग है _ खुदको समझना और ईश्वर को समझना हरेक केलिए मुमकिन नहीं है ।<br /><br />वसी अहमद क़ादरी<br />वसी अहमद अंसारीWASI AHMAD QADRI poethttps://www.blogger.com/profile/17293672912470874013noreply@blogger.com